गुरुवार, 9 जुलाई 2009

सनातन की जड़

  1. सनातन की जड़ तो भगवान हें ;जिस वृक्ष की जड़ मजबूत होती हे वो वृक्ष कभी भी नही गिर सकता तथा उस वृक्ष को मजबूत रखने के लिए खाद पानी से सींचा जाता हे इसीतरह सनातन धर्म की जड़ रूपी भगवान को पूजा अर्चना सेवा रूपी खाद पानी से सिचने की जरूरत होती हे आज हर स्नात्निष्ट का धर्म हो जाता हे सन्यासी त्यागी जो दुनिया में रहते हुए सबकुछ छोड़ चुका हो उस से उमीद करनी भारी गलती होगी भगवान ने तो जगत का गुरु ब्रह्मिण को कहा हे जगतका गुरु ब्रह्मिण -ब्रह्मिण का गुरु सन्यासी -सन्यासी का गुरु अर्दासी -अर्दासी का गुरु अविनाशी अर्थात दुनिया का गुरु ब्रह्मिण माना गया हे सन्यासी का गुरु अर्दासी (ग्रहस्थी)जो केवल अरदास-प्रार्थना ही करते हें पाठ-पूजा नही अर्दासी तो केवल सभी की रसोई का प्रबन्धक हो ता हे द्वार पर आय साधू सन्यासी लुटेरों की सेवा से ही पुन्य कमा लेने की शक्ति रखता हे ब्रह्मिण हर वर्ग को शिक्षित करता हे यदि आजका साधू -संत सन्यासी त्यागी ब्रह्मचारी अशिक्षित हो गया हे तो दोषी ब्रह्मिण ही कहा जाए गा ब्रह्मिण के अशिक्षित होते ही सारा समाज ही अशिक्षित हो जाताहे आज की स्थिति कुछ ऐसी ही हो चुकी हे २ इसी स्थति के कारण बे सिर पैर की बहसें छिड जातीं हें बे सिर पैर के फेसले आजाते हें बिना कारण नये नये धर्मों नये नये गुरुओं की उत्पति कर सनातन धर्म को अपमानित किया जाता हे सनातन धर्म सभाएं ' ब्रह्मिण सभाएं हिंदू संस्थाएं लोगों की जेबों पर डाका दल कर भी ख़ुद को दूध का धुला साबित करतीं हें स्म्लेंगिकता के विषय पर हुई बे नतीजा बहस के बावजूद चंडीगड़ में एक ही लिंग के बिच विवाह हो जाताहे समाज का कोई ठेकेदार रोक नही पता सरे आम सनातन धर्म की ध्जियाँ उडाई जातीं हें कोई नही बोलता 3पंडित सुरेश कोशल जी ने स्म्लेगिकता के फेसले को चुनोती देकर साबित किया की सनातन धर्म की जड़ अभी खोखली नही हुई हे वास्तव में यह कार्य जगत गुरु कही था न की योगी भोगी का आईये हम सभी उस सनातन पुरूष परमात्मा से प्रार्थना करें की जगत गुरु पंडित सुरेश कोशल जी समाज को शिक्षित करने का shery prapt kren

बुधवार, 8 जुलाई 2009

नया शोशा

सनातन धर्म के विरोध में नित्य नये प्रहार किए जाते हें ;आज कल माननीय न्यायेयाल्ये द्वारा ऐसा फेसला आगया हे जो भारतीय शुद्ध संस्कृति पर असहनीय प्रहार कहा जा सकता हे ;स्म्लेंगिकता पर आया यह फेसला इतना भी विरोध के योग्य न होता यदि सनातन नियमों को ध्यान में रखा गया होता सनातन धर्म पति पत्नी को भी सार्वजनिक तोर पर सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी अश्लीलता को स्वीकार नही करता हे इसी सिधांत को समझाने हेतु कहावत बनी की गुड यदि घर का ही क्यों नहो छुपा कर खाना चाहिए परन्तु इस विषय को टी.वी.पर मुर्खता पूर्ण ढंग से प्रसारित किया गया रामदेव नामक योग गुरु को जूते खाने के लिए बिठा दिया गया खूब भिगो -भिगो कर जूते मारे गये राम देव की भी मुर्ख ता देखिये यो तो धर्म शास्त्रों को मानो समझते ही नही हें उनको शायद पता ही नही की प्रकृति का नियम हे की उस में परिवर्तन होना ही हे सो होगया आज जब प्रकृतिक परिवर्तन हो गया तब धर्म गुरु नींद से जाग उठे अपना सिहासन डोलता देख इनको आज समाज को शक्षित करने की जरूरत समझ में आई जरा अतीत में जाकर देखे सिवाए धन इकट्ठा करने के इन पाखंडियों ने समाज को कितना उन की सांस्कृतिक धरोहर को सहेज कर रखा हे ऊची-ऊँची स्टेजे जो राजा महाराजाओं के लिए बनती थीं आज संतों के लिए बनतीं हें इस परिवर्तन को तो रोका नही गया जमीन पर आसन लगाने वाले धर्म गुरु सिघासनो पर बैठ ने ल्ग्गये यह तो वही बात हुई की एक शराबी अन्य shrabiyon से khe की shrab pini buri बात होती हे ?

मंगलवार, 7 जुलाई 2009

गीता-राम-राम

गीता राम राम इस से पहले की ब्लॉग लिखना शुरू करूं आप से कुछ कहना चाह ती हूँ गीता भगवान श्री कृष्ण की वाणी हे जितनी जेसी मेरी बुधि में आई लिखूं गी प्रभु और आपसब के आर्शीवाद से सनातन के हर पहलू पर प्रत्यक्ष ज्ञान का सहारा ले प्रकाश डालने का प्रयास भर हे

मेरे बारे में

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जन्म लिया भारत में भारत ही है घर मेरा भारत का खाना भारत का पानी पीना भारत में जीना भारत में मरजाना भारत भूमि देवताओं की उन्ही का गुण-गान करना जो हैं पाखंडी दम्भी उन का त्रिस्कार करना सनातन धर्म का प्रचार हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाई, इन चारों को मेरा प्रणाम जो हें विरोधी इनके उनको घुसे-लात